सभी किसानों को ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता, जानें किन शर्तों पर मिलेगा फायदा PM PKVY Yojana 2025

Published On: October 17, 2025
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सभी किसानों को ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता, जानें किन शर्तों पर मिलेगा फायदा PM PKVY Yojana 2025

प्रधानमंत्री परंपरागत कृषि विकास योजना 2025

(PM PKVY Yojana 2025 Details)

🎯 योजना का उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) की ओर प्रोत्साहित करना है। सरकार किसानों को रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर प्राकृतिक तरीकों से खेती करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पाद की गुणवत्ता दोनों में सुधार हो।


💰 सहायता राशि

  • केंद्र सरकार किसानों को ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।
  • यह सहायता तीन वर्षों में दी जाती है, यानी प्रति वर्ष लगभग ₹10,500 की दर से।
  • राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेजी जाती है।

📋 सहायता का उपयोग

इस राशि का उपयोग किसान निम्न कार्यों में कर सकते हैं:

  • जैविक खाद (Vermicompost, Jeevamrit, Cow Dung आदि) की व्यवस्था में।
  • जैविक बीजों और प्राकृतिक कीटनाशकों की खरीद में।
  • खेत की मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता परीक्षण में।
  • प्रशिक्षण और प्रमाणन से जुड़े खर्चों में।

✅ पात्रता (Eligibility Criteria)

  • आवेदक भारतीय किसान होना चाहिए।
  • किसान के पास खेती की जमीन (own land or lease land) का रिकॉर्ड होना आवश्यक है।
  • खेती जैविक पद्धति से करने पर ही सहायता दी जाएगी।
  • किसान को PKVY क्लस्टर में पंजीकृत होना चाहिए।
  • योजना का लाभ प्रति किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि तक दिया जाएगा।

🧾 आवश्यक दस्तावेज

  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक
  • भूमि अभिलेख (खसरा/खतौनी)
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • मोबाइल नंबर
  • आवेदन फॉर्म (राज्य कृषि विभाग से या ऑनलाइन पोर्टल से)

🪴 आवेदन प्रक्रिया

  1. किसान अपने जिले के कृषि विभाग कार्यालय या CSC केंद्र पर आवेदन कर सकते हैं।
  2. आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज जमा करें।
  3. कृषि अधिकारी द्वारा सत्यापन के बाद किसान को योजना में पंजीकृत किया जाएगा।
  4. स्वीकृति मिलने पर राशि चरणबद्ध तरीके से किसान के बैंक खाते में भेजी जाएगी।

🌱 योजना के लाभ

  • रासायनिक खेती से मुक्ति और भूमि की सेहत में सुधार।
  • फसल उत्पादन की गुणवत्ता और बाजार मूल्य में बढ़ोतरी।
  • जैविक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसर।
  • मिट्टी परीक्षण और प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण का लाभ।

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